Shree Swami Samarth Nam:

|| श्री स्वामी समर्थ ||


|| अथः योगमुहूर्तस्तोत्र: |



।।श्रीगणेशायनमः।।
।।श्रीस्वामीसमर्थ:।।

ध्यायेतशांतंप्रशांतंकमलंसुनयनंयोगीराजंदयालुम।
देवममुद्रासनस्थंविमलतनुयुतंमंदहास्यंकृपालाम।।

सद्यध्यातमात्रोहरतिचसकलांपापजालोधराशिनम।
भक्तानांह्रद्निवासोजयतिसंविददतकेवलानंदकंदम।।
विष्कंभ , प्रीती ,आयुष्मान ,सौभाग्य ,शोभनम।
अतिगंड ,सुकर्मा ,धृती ,शुल ,गंडमच।।
वृद्धी ,ध्रुव , व्याघात , हर्षल , वज्रम।
सिद्धी ,व्यतिपात ,वरियान ,परीघतथाशिवम।।
सिद्ध ,साध्य ,शुभ ,शुक्ल , ब्रम्हा।
एैंद्रतथाचवैधृतीयथाक्रमम।।
एतानीसत्यविंशोतीनामानीयोगानामचभवंती
बव , बालव ,कौलव ,तैतील,गरजम।वणिज ,विष्टी,शकुनी ,चतुष्पाद ,नागमतथाकिस्तुघ्न।।
एतानीएकादशनामानीकरनानामचभवंती
स्वस्ति ,रुद्र ,अहो ,अंकुर ,मित्रम।
पित्रु ,वसु ,वाराह ,विश्वदेवा ,विधीच।।
सतमुखी ,पुरू ,वाहिनी ,नक्तन ,वरुणम।
आर्यमान , भग ,गिरीष ,अजपाद ,अहिरबुजतथा।।

पुष्य ,अश्विनी ,यम ,अग्नी ,विधात्रीच।
कंड ,अदिती ,अमृत ,विष्णु,धुमद्रधुतीतथाचब्रम्हातदनंतरमच।।

एतानीमधुनामानीमुहूर्तनामचभवंती।
एतदस्तोत्रस्मरणमात्रेनसिद्धींचलभते।

सर्वकालेसदगुरुश्रीस्वामीसर्वज्ञरूपेणरक्षांकरोती।
यथादिपस्वप्रकाशेनतमनाशयति।

तद्वतइदमस्तोत्रस्मरणमात्रेणअज्ञानमनाशयति।।


॥ श्रीगुरुदत्तात्रेयार्पणमस्तु ॥
|| श्री स्वामी समर्थापर्ण मस्तु||

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