सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र प्रायः सभी स्त्रोत में सर्वोत्तम है! इस स्त्रोत के पठन मात्र से व्यक्ति अपनी कुंडली में उपस्थित किसी भी प्रकार का ग्रह दोष या फिर भूत-प्रेत और शत्रुओ का डर ही क्यों न हो सम्पूर्ण विजय प्रदान करने वाला है। इस स्तोत्र का पाठ करने मात्र से व्यक्ति सर्व कार्यो में सफलता प्राप्त करता है।
सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र पाठ
।।ॐ नमो परब्रह्म परमात्मने नम: ।।उत्पति स्थिति प्रलय कराय, ब्रह्म हरिंहराय त्रिगुणात्मने सर्व कौतुकानी दर्शय दर्शय दतात्रायाय: नम: ।।मंत्र तंत्र यंत्र सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा।।
ॐ गं गणपतये नम:। सर्व-विघ्न-विनाशनाय, सर्वारिष्ट निवारणाय, सर्व-सौख्य-प्रदाय, बालानां बुद्धि-प्रदाय, नाना-प्रकार-धन-वाहन-भूमि-प्रदाय, मनोवांछित-फल-प्रदाय रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ गुरवे नम:, ॐ श्रीकृष्णाय नम:, ॐ बलभद्राय नम:, ॐ श्रीरामाय नम:, ॐ हनुमते नम:, ॐ शिवाय नम:, ॐ जगन्नाथाय नम:, ॐ बदरीनारायणाय नम:, ॐ श्री दुर्गा-देव्यै नम:।।
ॐ सूर्याय नम:, ॐ चन्द्राय नम:, ॐ भौमाय नम:, ॐ बुधाय नम:, ॐ गुरवे नम:, ॐ भृगवे नम:, ॐ शनिश्चराय नम:, ॐ राहवे नम:, ॐ पुच्छानयकाय नम:, ॐ नव-ग्रह रक्षा कुरू कुरू नम:।।
ॐ मन्येवरं हरिहरादय एव दृष्ट्वा द्रष्टेषु येषु हृदयस्थं त्वयं तोषमेति विविक्षते न भवता भुवि येन नान्य कश्विन्मनो हरति नाथ भवान्तरेऽपि। ॐ नमो मणिभद्रे। जय-विजय-पराजिते! भद्रे! लभ्यं कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्-सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।। सर्व विघ्नं शांन्तं कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीबटुक-भैरवाय आपदुद्धारणाय महान्-श्याम-स्वरूपाय दिर्घारिष्ट-विनाशाय नाना प्रकार भोग प्रदाय मम (यजमानस्य वा) सर्वरिष्टं हन हन, पच पच, हर हर, कच कच, राज-द्वारे जयं कुरू कुरू, व्यवहारे लाभं वृद्धिं वृद्धिं, रणे शत्रुन् विनाशय विनाशय, पूर्णा आयु: कुरू कुरू, स्त्री-प्राप्तिं कुरू कुरू, हुम् फट् स्वाहा।।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:। ॐ नमो भगवते, विश्व-मूर्तये, नारायणाय, श्रीपुरुषोत्तमाय। रक्ष रक्ष, युग्मदधिकं प्रत्यक्षं परोक्षं वा अजीर्णं पच पच, विश्व-मूर्तिकान् हन हन, ऐकाह्निकं द्वाह्निकं त्राह्निकं चतुरह्निकं ज्वरं नाशय नाशय, चतुरग्नि वातान् अष्टादष-क्षयान् रांगान्, अष्टादश-कुष्ठान् हन हन, सर्व दोषं भंजय-भंजय, तत्-सर्वं नाशय-नाशय, शोषय-शोषय, आकर्षय-आकर्षय, मम शत्रुं मारय-मारय, उच्चाटय-उच्चाटय, विद्वेषय-विद्वेषय, स्तम्भय-स्तम्भय, निवारय-निवारय, विघ्नं हन हन, दह दह, पच पच, मथ मथ, विध्वंसय-विध्वंसय, विद्रावय-विद्रावय, चक्रं गृहीत्वा शीघ्रमागच्छागच्छ, चक्रेण हन हन, पा-विद्यां छेदय-छेदय, चौरासी-चेटकान् विस्फोटान् नाशय-नाशय, वात-शुष्क-दृष्टि-सर्प-सिंह-व्याघ्र-द्विपद-चतुष्पद अपरे बाह्यं ताराभि: भव्यन्तरिक्षं अन्यान्य-व्यापि-केचिद् देश-काल-स्थान सर्वान् हन हन, विद्युन्मेघ-नदी-पर्वत, अष्ट-व्याधि, सर्व-स्थानानि, रात्रि-दिनं, चौरान् वशय-वशय, सर्वोपद्रव-नाशनाय, पर-सैन्यं विदारय-विदारय, पर-चक्रं निवारय-निवारय, दह दह, रक्षां कुरू कुरू, ॐ नमो भगवते, ॐ नमो नारायणाय, हुं फट् स्वाहा।।
ठ: ठ: ॐ ह्रीं ह्रीं। ॐ ह्रीं क्लीं भुवनेश्वर्या: श्रीं ॐ भैरवाय नम:। हरि ॐ उच्छिष्ट-देव्यै नम:। डाकिनी-सुमुखी-देव्यै, महा-पिशाचिनी ॐ ऐं ठ: ठ:। ॐ चक्रिण्या अहं रक्षां कुरू कुरू, सर्व-व्याधि-हरणी-देव्यै नमो नम:। सर्व प्रकार बाधा शमनमरिष्ट निवारणं कुरू कुरू फट्। श्रीं ॐ कुब्जिका देव्यै ह्रीं ठ: स्वाहा।।
शीघ्रमरिष्ट निवारणं कुरू कुरू शाम्बरी क्रीं ठ: स्वाहा।।
शारिका भेदा महामाया पूर्णं आयु: कुरू। हेमवती मूलं रक्षा कुरू। चामुण्डायै देव्यै शीघ्रं विध्नं सर्वं वायु कफ पित्त रक्षां कुरू। मंत्र तंत्र यंत्र कवच ग्रह पीड़ा नडतर, पूर्व जन्म दोष नडतर, यस्य जन्म दोष नडतर, मातृदोष नडतर, पितृ दोष नडतर, मारण मोहन उच्चाटन वशीकरण स्तम्भन उन्मूलनं भूत प्रेत पिशाच जात जादू टोना शमनं कुरू। सन्ति सरस्वत्यै कण्ठिका देव्यै गल विस्फोटकायै विक्षिप्त शमनं महान् ज्वर क्षयं कुरू स्वाहा।।
सर्व सामग्री भोगं सप्त दिवसं देहि देहि, रक्षां कुरू क्षण क्षण अरिष्ट निवारणं, दिवस प्रति दिवस दु:ख हरणं मंगल करणं कार्य सिद्धिं कुरू कुरू। हरि ॐ श्रीरामचन्द्राय नम:। हरि ॐ भूर्भुव: स्व: चन्द्र तारा नव ग्रह शेषनाग पृथ्वी देव्यै आकाशस्य सर्वारिष्ट निवारणं कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बटुक भैरवाय आपदुद्धारणाय सर्व विघ्न निवारणाय मम रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीवासुदेवाय नम:, बटुक भैरवाय आपदुद्धारणाय मम रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीविष्णु भगवान् मम अपराध क्षमा कुरू कुरू, सर्व विघ्नं विनाशय, मम कामना पूर्णं कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीबटुक भैरवाय आपदुद्धारणाय सर्व विघ्न निवारणाय मम रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।
१. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री गणेश सहित सर्व विघ्नं द्रावयति प्रणाश्यति सर्व जन जग अदिपत्य कराय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।१।।
२. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री विश्णु भगवान सहित सर्व पालन कराय दुखः हरणाय सुमङ्गल कराय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।२।।
३. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री शिव सहित घोर चिन्ता नाश कराय भूत प्रेतादि जादू टोणादि सर्व अघोरी विद्या नाश कराय प्रचण्ड बल पराक्रमाय ,मृत्युन्जायाय , अपमृत्यू आदि संकट विकट नाश कराय,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।३।।
४. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री सूर्य देवता सहित तेजोमयाय ,तेजोकराय मान प्रतिष्ठा सुप्रसिद्धि दायकाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।४ ।।
५. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री हनूमान सहित सर्व छल छिद्र नाशकाय ,महाशतृ विध्वन्सनाय, प्रचण्ड सिद्धी दायकाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।५ ।।
६. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री आदिमाया सहित प्रेम शक्ति दायकाय , पालन पोशन कराय ,रक्षण कराय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।६ ।।
७. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री माहा सरस्वती सहित बुद्धी प्रदाय ,सर्व शास्त्रर्थ प्रकट कराय ,सर्व ज्ञान संपत कराय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।७ ।।
८. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री माहालक्ष्मी सहित सुख समृद्धि वृद्धि कराय ,धन दायकाय, चिन्ता भ्रम नाश कराय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।८ ।।
९. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री माहेश्वरि सहित महा संकट हराय , भिषण भय नाश कराय ,शाबरी विद्या दायकाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।९ ।।
१०. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री कुलदेवता सहित कुल शाप नाश कराय ,कुल उद्धारणाय, कुल दोष नाश कराय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।१० ।।
११. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री कुलस्वमिनि सहित कुल मान प्रतिष्ठा दायकाय, सर्व स्थिथी रक्षा कराय ,धन धान्य दायकाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।११ ।।
१२. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री ग्राम देवता सहित ग्रामगत पीडा नाश कराय , ग्रामगत भूमि दोष नाश कराय, ग्रामगत शत्रु कलह आदि दोष नाश कराय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।१२।।
१३. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री स्थान देवता सहित स्थान दोष नाश कराय ,स्थानगत अमृत सिद्धी दायकाय ,स्थाने रक्षा कवच धारणाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।१३ ।।
१४. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री कालिका माता सहित सूर्य नायाकाय कालऽधिपत्य कराय, शत्रु मारणाय ,चेडादी स्मशानादि अन्य अघोरी विद्या नाशनाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।१४।।
१५. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री धूमावती माता सहित मंगल नायाकाय तन्टा नाश कराय, सर्व व्यापक शक्ती दायकाय, शत्रु विद्वेष्णाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।१५ ।।
१६. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री छिन्नमस्ता माता सहित शनी नायाकाय ग्रह पीडा नाश कराय ,सर्व शत्रु उच्चाटनाय ,गम्भीर नादेन शत्रु पलायन कराय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।१६ ।।
१७. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री त्रिपुरसुन्दरी माता सहित केतू नायाकाय त्रिलोक-आधिपत्य कराय, सर्व जन मोहनाय,उत्कर्ष दायकाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।१७।।
१८. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री बगलामुखी माता सहित सोम नायाकाय सर्व जन शत्रु वशीकराय, सर्व जन आकर्षण कराय, सर्व दोष उन्मूलनाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।१८।।
१९. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री मातङ्गी माता सहित राहू नायाकाय’ सर्व उपद्रव प्रशमन कराय ,सर्व रोग व्याधि हराय ,सर्व परमन्त्र परयन्त्र परतंत्र परविद्या दुर्विद्या प्रकरशेन छेदन कराय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।१९ ।।
२०. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री भुवनेश्वरी माता सहित शुक्र नायाकाय संपत कराय ,प्रचण्ड धन भोग प्रदाय ,गभाड धन दायकाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।२०।।
२१. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री कमला माता सहित बुध नायाकाय शान्ति प्रदाय , पत्नी सरूद वशीकरणाय ,सर्व क्षेत्रे क्षिरोमणी स्थान प्रदाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।२१ ।।
२२. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री तारा माता सहित बृहस्पती नायाकाय आकाशस्य सर्वारिष्ठ निवारणाय, दुर्बुद्धी नाश कराय, दुष्कलन्क विनाशाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।२२।।
२३. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री भैरवी माता सहित प्रुथ्वी नायाकाय राज्यपद दायकाय, कूटनीती नाश कराय ,सर्व शत्रु बुद्धी उच्चाटनाय,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।२३।।
२४. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री षष्टी माता सहित , संतान दयाकाय ,बालकानां रक्षा कराय ,पूत्र पौत्र वृद्धी कराय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।२४।।
२५. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री रिद्धी सिद्धी माता सहित , सर्व सिद्धी प्रदाय ,वाचस्पती कराय ,कुल भूषण कराय,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।२५।।
२६. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री स्कंद सहित, सेना अद्यक्ष पद दायकाय, राज्य वशीकरणाय, मातृ पितृ सौख्य कराय, सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।२६।।
२७. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री धन्वंतरी सहित सर्व रोग निवारणाय सर्व उपद्रव शांती कराय सर्व कामना सिद्धी कराय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।२७।।
२८. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री अश्विनी कुमारौ सहित सौंदर्य प्रदाय संजीवन कराय ,औषदी ज्ञान दायकाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।२८।।
२९. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री नरसिंह देवता सहित प्रचण्ड् मनस्ताप हराय ,विशादादि मानस रोग नाश कराय ,माहाशत्रु विध्वन्सनाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।२९।।
३०. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री कृष्ण भगवान सहित अष्ट सिद्धी चतुःषष्टि कला दायकाय,संमोहन कराय, सौभाग्य प्रदाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।३०।।
३१. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री लक्ष्मि नारायण सहित सुप्रसिधि दायकाय ,धन भूमि वाहन प्रदाय, मनो वानचित फ़ल प्रदाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।३१।।
३२. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री अन्नपूर्णा माता सहित अन्न प्रदाय ,अमृत सिद्धी दायकाय ,सकल आपद हरणाय, सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।३२।।
३३. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री कामदेव रती सहित प्रेम वृद्धी कराय, अभिस्ठ आकर्षण कराय ,अभिस्ठ वशीकरणय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।३३।।
३४. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री संतोषी माता सहित,संतोष कराय ,आसमंत तृप्ती कराय ,सकल आनंद वृद्धी कराय , सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।३४।।
३५. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री मच्छिंद्र नाथ सहित,शिव शक्ती स्वरूपाय,यंत्र मंत्र तंत्र शक्ती दायकाय,दिगमंडल अधिपत्य कराय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।३५।।
३६. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री गोरक्ष नाथ सहित ,शाबरी मंत्र अधिपत्याय, भूतादी बाधा नाश कराय , सर्व बंधन मुक्ति कराय,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।३६।।
३७. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री रेवण सिद्ध नाथ सहित मनस्ताप हराय, रक्षा कवच धारणाय ,कंटक बुद्धी नाश कराय सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।३७।।
३८. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री कानिफनाथ सहित ,स्थिर बुद्धी कराय , स्थिर शासन कराय, स्थिर राजाधिपत्य कराय,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।३८।।
३९. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री चरपटी नाथ सहित , गूढ मंत्र आधिपत्य कराय , सोम्य शक्ती प्रदाय, गूढ ज्ञान शक्ती दायकाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।३९।।
४०. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री भर्तरीनाथ नाथ सहित, भूमंडळ आधिपत्य कराय , प्रचंड वशीकरण शक्ती दायकाय,प्रचंड सुमंगल कराय,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।४०।।
४१. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री जालीन्धार नाथ सहित ,दुस्ट बुद्धी बंधन कराय ,अग्नी शोक मनस्ताप नाशनाय,दुर्भाग्य नाशकाय`,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।४१।।
४२. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री गहनीनाथ सहित , प्रचंड ज्ञानवंत कराय ,मोक्ष मार्ग प्रदाय,सुकीर्ती दयाकाय,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।४२।।
४३. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री अडबंग नाथ सहित ,चीर यौवन शक्ती दयाकाय,अंतःचक्षु उन्मीलानय , चीर संजीवन कराय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।४३।।
४४. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री अष्ट दिक्पाल सहित ,अष्ट दिशेन पालन कराय,अष्ट मूर्ती रूपेण संरक्षण कराय , अष्ट दिशेन यशवंत कराय,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।४४।।
४५. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री चतुःषष्टि योगिनीनाँ सहित सुलक्षनाय ,योग मार्ग दर्शकाय ,योगी रक्षण कराय,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।४५।।
४६. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री वीर सहित अखंडाय प्र,चंड वीर्य वृद्धी कराय, महादंभ नाश कराय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।४६।।
४७. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , सर्व गण ,भैरव, गंधर्व, याक्षिणी ,अप्साराणां सहित महाकीर्ती दायकाय ,भव्य दिव्य कराय,संकुचित वृत्ती नाश कराय,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।४७।।
४८. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री कालभैरव सहित महा भयङ्कर काल नाश कराय , महोउपद्रव नाशनाय, सर्व जादु टोनादि प्रशमन कराय,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।४८।।
४९. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री कल्पवृक्ष सहित इच्छा पुरती कराय,कल्पित कामना पूर्ण कराय , धर्म अर्थ काम मोक्ष साधकाय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।४९ ।।
५०. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री नरसिंह् सरस्वती सहित गुह्योप्देश कराय, उत्तम सन्मार्ग दर्शकाय, नानाविध चमत्कार कराय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।५०।।
५१. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ् , माता पिता , श्री जगदीश दत्त महाराज सहित जगन मोहन कराय ,जगत वशीकरणाय, जगत प्रशान्ति कराय ,जगन्नाथाय जगद पूज्याय ,सर्वारिष्ठ निवारणाय हुं फ़ट स्वाहा ।।५१।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ श्रीदुर्गा देवी रूद्राणी सहित, रूद्र देवता काल भैरव सह, बटुक भैरवाय, हनुमान सह मकर ध्वजाय, आपदुद्धारणाय मम सर्व दोषक्षमाय कुरू कुरू सकल विघ्न विनाशाय मम शुभ मांगलिक कार्य सिद्धिं कुरू कुरू स्वाहा।। ।।२९।।
एष विद्या माहात्म्यं च, पुरा मया प्रोक्तं ध्रुवं। शम क्रतो तु हन्त्येतान्, सर्वाश्च बलि दानवा:।। य पुमान् पठते नित्यं, एतत् स्तोत्रं नित्यात्मना। तस्य सर्वान् हि सन्ति, यत्र दृष्टि गतं विषं।। अन्य दृष्टि विषं चैव, न देयं संक्रमे ध्रुवम्। संग्रामे धारयेत्यम्बे, उत्पाता च विसंशय:।। सौभाग्यं जायते तस्य, परमं नात्र संशय:। द्रुतं सद्यं जयस्तस्य, विघ्नस्तस्य न जायते।। किमत्र बहुनोक्तेन, सर्व सौभाग्य सम्पदा। लभते नात्र सन्देहो, नान्यथा वचनं भवेत्।। ग्रहीतो यदि वा यत्नं, बालानां विविधैरपि। शीतं समुष्णतां याति, उष्ण: शीत मयो भवेत्।। नान्यथा श्रुतये विद्या, पठति कथितं मया। भोज पत्रे लिखेद् यंत्रं, गोरोचन मयेन च।। इमां विद्यां शिरो बध्वा, सर्व रक्षा करोतु मे। पुरुषस्याथवा नारी, हस्ते बध्वा विचक्षण:।। विद्रवन्ति प्रणश्यन्ति, धर्मस्तिष्ठति नित्यश:। सर्वशत्रुरधो यान्ति, शीघ्रं ते च पलायनम्।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ श्रीदुर्गा देवी रूद्राणी सहिता, रूद्र देवता काल भैरव सह, बटुक भैरवाय, हनुमान सह मकर ध्वजाय, आपदुद्धारणाय मम सर्व दोषक्षमाय कुरू कुरू सकल विघ्न विनाशाय मम शुभ मांगलिक कार्य सिद्धिं कुरू कुरू स्वाहा।।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।
सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।
सृष्टि स्थिति विनाशानां शक्तिभूते सनातनि। गुणाश्रये गुणमये देवी नारायणी नमोस्तुते
सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।
सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥
सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।
सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।
काली काली महाकाली कालीके परमेश्वरी ।सर्वानंद करे देवी नारायणि नमो स्तुते ॥
सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।
कामदे काम संपन्ने कामेश्वर प्रिये कामना देही मे नित्यं कामेश्वरी नमोस्तुते
सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।
अपसर्पन्तु ते भूता ये भूता भूमिसंस्थिताः |ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्ति शिवाज्ञया ॥
सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।
गङ्गा पापं शशी तापं दैन्यं कल्पतरुस्तथा ।पापं तापं च हरती दैन्यं च गुरु दर्शनम
सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।सर्वारिष्ठ निवारणाय स्वाहा।
ॐ शान्ति शान्ति शान्ति।
हरि ॐ तत्सत् ।
ॐ स्वामि ।ॐ स्वामि ।ॐ स्वामि ।
।। सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र सम्पूर्ण।।