।श्री गणेशाय नमः।
श्री स्वामी सामर्थाय नमः ।
॥ दोहा ॥
जैसे अटल हिमालय, और जैसे अडिग सुमेर ।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर ॥
विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर ।
भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी । धन माया के तुम अधिकारी ॥१॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी । पवन वेग सम सम तनु बलधारी ॥२॥
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी । सेवक इन्द्र देव के आज्ञाकारी ॥३॥
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी । सेनापति बने युद्ध में धनुधारी ॥४॥
महा योद्धा बन शस्त्र धारैं । युद्ध करैं शत्रु को मारैं ॥५॥
सदा विजयी कभी ना हारैं । भगत जनों के संकट टारैं ॥६॥
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता । पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता ॥७॥
विश्रवा पिता इडविडा जी माता । विभीषण भगत आपके भ्राता ॥८॥
शिव चरणों में जब ध्यान लगाया । घोर तपस्या करी तन को सुखाया ॥९॥
शिव वरदान मिले देवत्य पाया । अमृत पान करी अमर हुई काया ॥१०॥
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में । देवी देवता सब फिरैं साथ में ॥११॥
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में । बल शक्ति पूरी यक्ष जात में ॥१२॥
स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं । त्रिशूल गदा हाथ में साजैं ॥१३॥
शंख मृदंग नगारे बाजैं । गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं ॥१४॥
चौंसठ योगनी मंगल गावैं । ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं ॥१५॥
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं । यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं ॥१६॥
ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं । देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं ॥१७॥
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं । यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं ॥१८॥
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं । पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं ॥१९॥
नागों में जैसे शेष बड़े हैं । वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं ॥२०॥
कांधे धनुष हाथ में भाला । गले फूलों की पहनी माला ॥२१॥
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला । दूर दूर तक होए उजाला ॥२२॥
कुबेर देव को जो मन में धारे । सदा विजय हो कभी न हारे ॥२३॥
बिगड़े काम बन जाएं सारे । अन्न धन के रहें भरे भण्डारे ॥२४॥
कुबेर गरीब को आप उभारैं । कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं ॥२५॥
कुबेर भगत के संकट टारैं । कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं ॥२६॥
शीघ्र धनी जो होना चाहे । क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं ॥२७॥
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं । दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं ॥२८॥
भूत प्रेत को कुबेर भगावैं । अड़े काम को कुबेर बनावैं ॥२९॥
रोग शोक को कुबेर नशावैं । कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं ॥३०॥
कुबेर चढ़े को और चढ़ादे । कुबेर गिरे को पुन: उठा दे ॥३१॥
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे । कुबेर भूले को राह बता दे ॥३२॥
प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे । भूखे की भूख कुबेर मिटा दे ॥३३॥
रोगी का रोग कुबेर घटा दे । दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे ॥३४॥
बांझ की गोद कुबेर भरा दे । कारोबार को कुबेर बढ़ा दे ॥३५॥
कारागार से कुबेर छुड़ा दे । चोर ठगों से कुबेर बचा दे ॥३६॥
कोर्ट केस में कुबेर जितावै । जो कुबेर को मन में ध्यावै ॥३७॥
चुनाव में जीत कुबेर करावैं । मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं ॥३८॥
पाठ करे जो नित मन लाई । उसकी कला हो सदा सवाई ॥३९॥
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई । उसका जीवन चले सुखदाई ॥४०॥
जो कुबेर का पाठ करावै । उसका बेड़ा पार लगावै ॥४१॥
उजड़े घर को पुन: बसावै । शत्रु को भी मित्र बनावै ॥४२॥
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई । सब सुख भोग पदार्थ पाई ॥४३॥
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई । मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई ॥४४॥
॥ दोहा ॥
शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर ।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर ॥
कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर ।
शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर ॥
॥ इति श्री कुबेर चालीसा संपूर्णम् ॥
॥ श्रीगुरुदत्तात्रेयार्पणमस्तु ॥
|| श्री स्वामी समर्थापर्ण मस्तु||