Shree Swami Samarth Nam:

|| श्री स्वामी समर्थ ||


|| अथः कामदेव मंत्र ||



ॐ नमो आदेश गुरु को ।
गुरूजी को आदेश ।
कामदेव कामदेव क्या करें ।
तुम मेरे निकट हाजिर होकर सब स्त्री पुरुष को मेरे वश में करें ।
हर वक्त मेरे साथ रहे ।
मेरा कारज सिद्ध करें ।
काम देव ब्रह्म का पूत,ब्रह्म के स्वेद से प्रकटे ।
लेके सुन्दर पुष्प बाण, वश में करे सारा जहाँ।
हर्षण रोचन मोहन शोषण मारण हुए एक से एक माहान ।
वशीभूत करे सब जन फुलावे तीर कमान ।
मन्मथ ,काम ,मनोभव ,मदन,कंन्दर्प ।
अनंग ,कामदेव ,रागवृंत,मनसिजा और रतिकांत।
पुष्पवान ,पुष्पधंव ,प्रद्युम्न तथा भस्मशरीर ।
नमन करने भस्मशरीर पुकारे ।
वश करने हेतु मोहन क्रिया सुधारे।
रती ,प्रीती,रेवा ,मन्मथप्रिया,रागलता ।
शुभांगी .कामकला ,कामप्रिया ,प्रीती-कामा ,मायावती ।
सुन्दर काम की होवे मोहक कामिनी ।
अटल से अटल वश में करे ,मुग्ध दामिनी ।
कुमकुम चन्दन कपूर गोरोचन सुहागा ।
टिका करके कामदेव सवारे भागा ।
प्रेम का तारा मोहय मोहय वशय वशय आकर्शय आकर्शय
कामय कामय पूरे पूरे क्लेदय क्लेदय ।
चाँद को जैसे चांदनी प्यारी ।प्रेम की भक्ति मन ही मन तारी ।

ॐ कामाय नमः सम्मोहय सम्मोहय ।
ॐ भस्म शरीराय नमः सम्मोहय सम्मोहय।
ॐ अनंगाय नमः सम्मोहय सम्मोहय।
ॐ मन्मथाय नमः सम्मोहय सम्मोहय।
ॐ वसंत सखाय नमः सम्मोहय सम्मोहय।
ॐ इक्षु धनुर्धराय नमः सम्मोहय सम्मोहय।
ॐ भस्म शरीराय नमः सम्मोहय सम्मोहय।
ॐ पुष्प बाणय नमः सम्मोहय सम्मोहय।

केसर वेलची लोंग कुमकुम तथा सिंदूर।

मुट्ठी में लेकर मंत्र पंचम पढावे ।
चुटकी में सुन्दर से सुन्दर वश में करावे ।

ॐ कामदेवाय: विदमहे पुष्पबाणाय धीमहि तन्नो अनंग: प्रचोदयात।

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै।
अष्ट लक्ष्मी निज वास करवाई।
शिव पारवती प्रचुर आशीर्वाद देवे।
विष्णु लक्ष्मी सदा निकट होवे ।
माजी सागर में नैय्य तैरावे ।
कामदेव रति सौभाग्य दिलावे।
ॐ स्वामी ॐ स्वामी ॐ स्वामी
ॐ तत्सत


॥ श्रीगुरुदत्तात्रेयार्पणमस्तु ॥
|| श्री स्वामी समर्थापर्ण मस्तु||

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