Shree Swami Samarth Nam:

|| श्री स्वामी समर्थ ||


|| श्री नाथ बाला जाप बीजमंत्र |


।श्री गणेशाय नमः।
श्री स्वामी सामर्थाय नमः ।

श्री नाथ बाला जाप बीजमंत्र
ॐ नमो आदेश गुरूजी कौं, आदेश ॐ गुरूजी -
ॐ सोहं ऐं क्लीं श्री सुन्दरी बाला
काहे हात पुस्तक काहे हात माला ।

बायें हात पुस्तक दायें हात माला जपो तपो श्रीसुन्दरी बाला ।
जिवपिण्डका तूं रखवाला हंस मंत्र कुलकुण्डली बाला ।
बाला जपे सो बाला होय बूढा जपे सो बाला होय ॥

घट पिण्डका रखवाला श्रीशंभु जति गुरु गोरख बाला ।
उलटंत वाला पलटंत काया सिद्धोंका मारग साधकोंने पाया ॥

ॐ गुरूजी, ॐ कौन जपंते सोहं कौन जपंते ऐं कौन जपंते ।
क्लीं कौन जपंते श्रीसुन्दरी कौन जपंते बाला कौन जपंते ॥

ॐ गुरूजी, ॐ जपंते भूचरनाथ अलख अगौचर अचिंत्यनाथ ।
सोहं जपंते गुरु आदिनाथ ध्यान रूप पठन्ते पाठ ॥

ऐ जपंते व्रह्माचार वेद रूप जग सरजन हार ।
क्लीं जपंते विष्णु देवता तेज रूप राजासन तपता ॥

श्रीसुन्दरी पारवती जपन्ती धरती रूप भण्डार भरन्ती ।
बाला जपंते गोरख बाला ज्योति रूप घट घट रखवाला ॥

जो वालेका जाने भेव आपहि करता आपहि देव ।
एक मनो कर जपो जाप अन्तवेले नहि माई बाप ॥

गुरु सँभालो आपो आप विगसे ज्ञान नसे सन्ताप ।
जहां जोत तहाँ गुरुका ज्ञान गतगंगा मिल धरिये ध्यान ॥

घट पिण्डका रखवाला श्रीशंभु जति गुरु गोरख बाला ।
जहां बाला तहां धर्मशाला सोनेकी कूची रुपेका ताला ॥

जिन सिर ऊपर सहंसर तपई घटका भया प्रकाश ।
निगुरा जन सुगुरा भया कटे कोटि अघ राश ॥

सुचेत सैन सत गुरु लखाया पडे न पिण्ड विनसे न काया ।
सैन शब्द गुरु कन्हें सुनाया अचेत चेतन सचेत आया ॥

ध्यान स्वरूप खोलिया ताला पिण्ड व्रह्माण्ड भया उजियाला ।
गुरु मंत्र जाप संपूरण भया सुण पारवती माहदेव कह्ना ॥

नाथ निरंजन नीराकार बीजमंत्र पाया तत सार ।
गगन मण्डल में जय जय जपे कोटि देवता निज सिर तपे ॥

त्रिकुटि महल में चमका होत एकोंकार नाथ की जोत ।
दशवें द्वार भया प्रकाश बीजमंत्र, निरंजन जोगी के पास ॥

ॐ सों सिद्धोंकी माया सत गुरु सैन अगम गति पाया ।
बीज मंत्र की शीतल छाया भरे पिण्ड न विनसे काया ॥

जो जन धरे बाला का ध्यान उसकी मुस्किल ह्नोय आसान ।
ॐ सोहं एकोंकार जपो जाप भव जल उतरो पार ॥

व्रह्मा विष्णु धरंते ध्यान बाला बीजमंत्र तत जान ।
काशी क्षेत्र धर्म का धाम जहां फूक्या सत गुरने कान ॥

ॐ बाला सोहं बाला किस पर बैठ किया प्रति पाला ।
ऋद्ध ले आवै सुण्ढ सुण्ढाला हित ले आवै हनुमत बाला ॥

जोग ले आवे गोरख बाला जत ले आवे लछमन बाला ।
अगन ले आवे सूरज बाला अमृत ले आवे चन्द्रमा बाला ॥

बाला वाले का धर ध्यान असंख जग की करणी जान ।
मंगला माई जोत जगाई त्रिकुटि महल में सुरती पाई ॥

शिव शक्ति मिल वैठे पास बाला सुन्दरी जोत प्रकाश ।
शिव कैलास पर थापना थापी व्रह्मा विष्णु भरै जन साखी ॥

बाला आया आपहि आप तिसवालेका माइ न बाप ।
बाला जपो सुन्न महा सुन्न बाला जपो पुन्न महा पुन्न ॥

बाला जपो जोग कर जुक्ति बाला जपो मोक्ष महा मुक्ति ।
बाला बीज मंत्र अपार बाला अजपा एकोंकार ॥

जो जन करे बाला की सेव ताकौं सूझे त्रिभुवन देव ।
जो जन करे बाला की भ्राँत ताको चढे दैत्यके दाँत ॥

भरम पडा सो भार उठावै जहाँ जावै तहाँ ठौर न पावै ।
धूप दीप ले जोत जगाई तहाँ वैठी श्री त्रिपुरा माई ॥

ऋद्ध सिद्ध ले चौक पुराया सुगुरा जन मिल दर्शन पाया ।
सेवक जपै मुक्ति कर पावै बीज मंत्र गुरु ज्ञान सुहावै ॥

ॐ सोहं सोधन काया गुरु मंत्र गुरु देव बताया ।
सव सिद्धनके मुखसे आया सिद्ध वचन निरंजन ध्याया ॥

ओवं कारमें सकल पसारा अक्षय जोगि जगतसे न्यारा ।
श्री सत गुरु गुरुमंतर दीजै अपना जन अपना कर लीजै ॥

जो गुरु लागा सन्मुख काना सो गुरु हरि हर व्रह्मा समाना ।
गुरु हमारे हरके जागे अरज करूं सत गुरुके आगे ॥

जोत पाट मैदान रचाया सतसे ल्याया धर्मसे विठाया ।
कान फूक सर जीवत कीया सो जोगेसर जुग जुग जीया ॥

जो जन करे बालाकी आसा सो पावै शिवपुरिका वास ।
जपिये भजिये श्रीसुन्दरी बाला आवा गवन मिटे जंजाला ॥

जो फल मांगूँ सो फल होय बाला बीज मंत्र है सोय ।
गुरु मंत्र संपूरण माला रक्षा करै गुरु गोरख वाला ॥

सेवक आया सरणमें धन्या चरणमें शीष ।
बालक जान कर कीजिये दयादृष्टि आशीष ॥

गुरु हमारे हरके जागे नीवँ नीवँ नावूँ माथ ।
वलिहारी गुरुर आपणे जिन दीपक दीना हाथ ॥

॥ श्रीगुरुदत्तात्रेयार्पणमस्तु ॥
|| श्री स्वामी समर्थापर्ण मस्तु||


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