।श्री गणेशाय नमः।
श्री स्वामी सामर्थाय नमः ।
ॐ नमो आदेश गुरान्जीकूँ आदेश , ॐ आदेशाय विद्महे ।
सोहं आदेशाय धीमहि नन्नो आदेशनाम प्रचोदयात् ॥
आदेश नाम गायत्री जाप उठन्ते अनुभवदेवा ।
सप्त दीप नव खण्डमें आदेश नामकी सेवा ॥
आदेश नाम अनघड़की काया ररंकारमें झंकार समाया ।
सोहंकारसे ॐ उपाया वज्र शरीर अमर करी काया ॥
आदेश नाम अमृत रसमेवा आद जुगाद करूँ मै सेवा ।
आदेश नाम अनघड़जीने भाख्या लख चौरासी पड़ता राख्या ॥
आदेश नाम पाखान तराई आदेश नाम जपोरे भाई ।
आदेश नाम जपन्ते देवा व्रह्मा विष्णु महेश्वर एवा ॥
सिद्ध चौरासी नाथ नव जोगी आवा गमन कदे नहि भोगी ।
राजा प्रजा जपै दिन राति दूध पूत घर संपति आति ॥
आदेश नाम गायत्री सार जपो भौ उतरो पार ।
आदेश नाम गायत्री उत्तम जपतांवार न कीजै जनम ॥
इतना आदेश नाम गायत्री जाप सम्पूरणं सही ।
अटल दलीचे वैठके श्रीनाथजी गुरुजी ने कही ॥
नाथजी गुरुजी को आदेश आदेश ॥
॥ इति आदेश गायत्री जाप ॥
॥ श्रीगुरुदत्तात्रेयार्पणमस्तु ॥
|| श्री स्वामी समर्थापर्ण मस्तु||