Gurudev

Shree Swami Samarth Nam:

|| श्री स्वामी समर्थ ||


|| श्री गणपती कवच ||


।श्री गणेशाय नमः।
। श्री स्वामी सामर्थाय नमः ।

श्री गणेशाय नमः श्री स्वामी समर्थाय नमः
ध्यायेत्‌ शांतं प्रशांत॑ कमलं सुनयन योगिराज॑ दयालुम्‌ ।
देवम्‌ मुद्रासनस्थ॑ विमल तनुयुतम् मन्दहास्यम् कृपालम्‌ ।।
सध्ह्ययो ध्यातमात्रो हरतिच सकलां पाप जालो धराशिनम्‌ ।
भक्तानाम्‌ हृदनिवासो ।जयति संविददत केवलनन्द् कंदम्‌ । |
शिवो मे पातू बाल गणपती ही ललाटटं तरुण गणपती।
भ्रुमध्य भक्त गणपती नेत्रे च वीर गणपतीही ।।
नासिकां रक्षेत शक्ति गणपती कर्णोाच द्विज गणपती ही।
रसनायां सिद्ध गणपती मन्यां तु उच्छिष्य गणपती ही।।
वक्षस्थलं विध्न गणपती हृदयं में क्षिप्र गणपती ही।
स्तनो हेरम्ब गणपती उदरं पातू लक्ष्मी गणपती ।।
बाहयुग्म॑ सदा पातु महागणपती ही।
नाभिं विजय गणपती ही कटीं नृत्त गणपतो। |
गुहयेंद्रीयो सदा रक्षेत उर्ध्व गणपती ही।
जानुनी एकाक्षर गणपती जंघे में वर गणपती । ।
गुल्फो त्रयक्षर गणपती पादोच रक्षेत क्षिप्रप्रसाद गणपत ही।
अन्यानियानि चागान रक्षन मे अष्टसद्धिदायक गणपती।।
दिवा काले हिरद्रा गणपती निशाकाले च एकदंत॑।
संध्याकाले सृष्टि गणपती सर्व काले सदा रक्षेत उदंड गणपती ही।।
विकट काले ऋणमोचक गणपती भीषण काले ढुंडी गणपती ही।
दुर्धर काले द्विमुख गणपती अन्य आपत्ती काले च रक्षेत त्रिमुख गणपती।।
व्यापार काले सिंह गणपती लक्ष्मी प्राप्ती काले च योग गणपती।
सन्मान प्रतिष्ठा काले दुर्गा गणपती तथा सर्व काले च रक्षेत संकष्टहरं गणपती।।
सदा सर्व अवस्थायांच रक्षेतर मंदार गणपती ही ।
यं इदं गणपती कवच सद्गुरु श्री स्वामी ध्यात मात्रेण पठती।
सदा सुखी समृद्धीवानं संपत विद्यावान मृत्यंजयं भवती न संशय:।

॥ श्रीगुरुदत्तात्रेयार्पणमस्तु ॥
|| श्री स्वामी समर्थापर्ण मस्तु||


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