सत् नमो आदेश, गुरूजी को आदेश, ॐ नमः शिवाय, हरी ॐ
तू ही तो है ब्रह्माण्ड का वाली । सदा वास करे पुण्य कैलास ग्रामी ॥
सत्य का दिया जलाके करे उजाला । तेरे विश्वास से कम करे कोटि ब्रह्माण्ड का फासला ॥ "ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो महारुद्र प्रचोदयात् "
यह गायत्री वास करे कैलासपुरी । शिव पार्वती के गोद में खेल के संजीवन करे माया नगरी ॥
शिव ज्योति की छवि है न्यारी। बारा अंगो से संभाले विश्व को भारी ॥
ॐ माटी का कुंडा, गंगा निर चंदन बनाये हनुमंत बीर, ऋद्धि-सिद्धि भंडार भरे, अक्षदा लाये गौरी गणेश।
चढ़े अक्षदा चढ़े चंदन ज्योत जगाए महेश।
सत् नमो आदेश॥ गुरूजी को आदेश । ॐ गुरुजी।
अलख निरंजन निराकार अविगत पुरुष तत्वसार, तत्वसार मध्ये जोत, ज्योत मध्ये परम ज्योति, परम |
ज्योति मध्ये उत्त्पन्न भई शिव रुद्र गायत्री, विशुनि विश्वमूर्ति पाताले ग्रहणी, चतुर्थे वेदी मुखे, दहिनी नासिका गंगा जमना सरस्वती त्रिकुटी देवता देखे चंद्रमा, आद ललाट नक्षत्र पुष्पमाला अठराह भार वनस्पति, सेली सिंगी मीन मेखला धरी ह्रदय तैंतीस करोड देवता कुक्षौ सप्त सागरा रोमावलिते चार खाणी चार बाणी चंद सूर्य पवन पाणीधर्ती आकाश पंचतत्व पिंड प्राण ले किया प्रकाश ।
पहिली ज्योत का भया प्रकाश जलाके सौराष्ट्र में बुझावे माया पाष, मेष राशी के ग्रह नक्षत्रोंकी करे सहाई, दिन भगत के नसीब की करे भलाई। " ॐ सोमेश्वराय विद्महे भालचंद्राय धीमहि तन्नो श्री सोमनाथा प्रचोदयात् "
दुसरी ज्योत का भया प्रकाश जलाके श्रीशैल्या में बुझावे माया पाष, वृषभ राशी के ग्रह नक्षत्रोंकी करे सहाई, दिन भगत के नसीब की करे भलाई।"ॐ श्री शैल्यवासिने विद्महे महेश्वराय धीमहि तन्नो श्री मल्लिकाअर्जुनाः प्रचोदयात् "
तिसरी ज्योत का भया प्रकाश जलाके उजैन्यां में बुझावे माया पाष, मिथुन राशी के ग्रह नक्षत्रोंकी करे सहाई, दिन भगत के नसीब की करे भलाई।"ॐ कालपतीच विद्महे कालेश्वराय धीमहि तन्नो महाकाल प्रचोदयात् "
चौथी ज्योत का भया प्रकाश जलाके में बुझावे माया पाष, कर्क राशी के ग्रह नक्षत्रोंकी करे सहाई, दिन भगत के नसीब की करे भलाई। "ॐ परमानंदाय विद्महे सच्चीदानंदाय धीमहि तन्नो श्री ओंकारेश्वराः प्रचोदयात् "
पाँचवी ज्योत का भया प्रकाश जलाके परळी बुझावे माया पाष, सिंह राशी के ग्रह नक्षत्रोंकी करे सहाई, दिन भगत के नसीब की करे भलाई। "ॐ वैद्यराजंच विद्महे औषधीपतीच धीमहि तन्नो श्री वैजनाथम् प्रचोदयात् "
छठी ज्योत का भया प्रकाश जलाके डाकिन्यां में बुझावे माया पाष, कन्या राशी के ग्रह नक्षत्रोंकी करे सहाई, दिन भगत के नसीब की करे भलाई। "ॐ भस्मधराय विद्महे त्रिपुटीधारणाय धीमहि तन्नो श्री भिमाशंकराः प्रचोदयात् "
सप्तम ज्योत का भया प्रकाश जलाके सेतुबंधमे में बुझावे माया पाष, तुला राशी के ग्रह नक्षत्रोंकी करे सहाई, दिन भगत के नसीब की करे भलाई। " ॐ रामचंद्राय विद्महे प्रभूनाथाय धीमहि तन्नो श्री रामेश्वराः प्रचोदयात् "
अष्टम ज्योत का भया प्रकाश जलाके दारूकावने में बुझावे माया पाष, वृश्चिक राशी के ग्रह नक्षत्रोंकी करे सहाई, दिन भगत के नसीब की करे भलाई। "ॐ नागधराय विद्महे नागपाषाय धीमहि तन्नो श्री नागेश्वराः प्रचोदयात् "
नवम ज्योत का भया प्रकाश जलाके वाराणस्यम् में बुझावे माया पाष, धनु राशी के ग्रह नक्षत्रोंकी करे सहाई, दिन भगत के नसीब की करे भलाई ।" ॐ जटाधराय विद्महे गंगानाथाय धीमहि तन्नो श्री विश्वेश्वराः प्रचोदयात् "
दशम ज्योत का भया प्रकाश जलाके गौतमी तटे में बुझावे माया पाष,मकर राशी के ग्रह नक्षत्रोंकी करे सहाई, दिन भगत के नसीब की करे भलाई। " ॐ निरंजनाय विद्महे सत्वप्रकाशाय धीमहि तन्नो श्री त्र्यंबकेश्वराः प्रचोदयात् "
ग्यारहवी ज्योत का भया प्रकाश जलाके हिमालय में बुझावे माया पाष, कुंभ राशी के ग्रह नक्षत्रोंकी करे सहाई, दिन भगत के नसीब की करे भलाई।"ॐ हिमधराय विद्महे शांतीकराय धीमहि तन्नो श्री केदारेश्वराः प्रचोदयात् "
बारवी ज्योत का भया प्रकाश जलाके घृसृनेश में बुझावे माया पाष, मीन राशी के ग्रह नक्षत्रोंकी करे सहाई, दिन भगत के नसीबकी करे भलाई। "ॐ संहारनाथाय विद्महे बलकराय धीमहि तन्नो श्री घृसृनेश्वरः प्रचोदयात् "
ऐसे होवे बारा ज्योति की महिमा शिव शक्ति के बल की दिखावे गरिमा ।
सिर पे लेके औषधी का भार । जलाके डालो रोगों का मार ॥ । शिवजी लेके अमिरस का घट । विष पिके दूर करे मृत्यु का सावट ॥
संग पार्वती माई की छवी है न्यारी । दिन भगत को करे सुखकारी ॥
विष्णु लक्ष्मी ब्रह्म सरस्वती संग शिव के भातो । सदा ही दिन भगत को थाट बाट में सुखी कराते ॥
दाये गणेश जी की चौकी विघ्नन की करे सफाई । बाये स्कंध कि चौकी सेनापति होके करे भलाई ॥
जय हो स्वामी । जय हो स्वामी । जय हो स्वामी ।
अनंत कोटी ब्रह्माण्ड की शक्ती तुझमे समाई । बारह ज्योति की लीला मन ही मन स्फुराई।
खोले सुख संपत्ती का भंडारा,भाग्यवान बनावे देके नसिब को सहारा ॥
ॐ स्वामी । ॐ स्वामी । ॐ स्वामी। हरि ॐ तत्सत् ॥