जय शिव दुलारा गौरी का प्यारा |
विघ्न को हारा माया मे सहारा ||१||
जय जय जय गणों का अधिपती |
मारे दुख को सुख का होवे पती ||२||
बुद्धी का दाता सदा रहे संकट का त्राता |
दूर करे माया समृद्धी का धाता ||३||
जय जय जय सरस्वती माता |
करे हंस सवारी विद्या की दाता ||४||
धारण करे कुल को देके सहारा |
सुख देके इस ललन को संवारा ||५||
निधी का दाता दारिद्रय ऋण को दूर भगाता |
सुकून देके शाप से मुक्त कराता ||६||
तुम अनाथ के नाथ सहाई |
दिनन के तुम हो सदा सहाई ||७||
नाम अनेकन मात तुम्हारे |
भक्त जनों के संकट तारे ||८||
निशिदिन ध्यान धरे जो कोई |
ता सम धन्य और नही कोई ||९||
जो तुम्हारे नित पांव पलोटत |
आठो सिद्धी ताके चरणा मे लोटत ||१०||
सिद्धी तुम्हारी सब मंगलकारी |
जो तुम पे जावे बलिहारी ||११||
जय जय जय कुलदेव कुलोद्धारी |
सदा इस नन्दन को करे सुखधारी ||१२||
जय जय जय अनंत अविनाशी |
कृपा करो तुम पुत्र के घटवासी ||१३||
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा |
निर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा ||१४||
जय जय जय कुलस्वामिनी कुलपालान कारी |
सदा दुःखहारी करत कृपा सबसे भारी ||१५||
जय जय जय माता कुलजननी |
कुलधात्री माहेश्वरी तुही भवानी ||१६||
जय जय जय सत्त्व प्रकाशी तमो नाशी |
जैसे सूरज धरती को प्रकाशी ||१७||
चारिक वेद प्रभु के साखी |
तुम भक्तन की लज्जा राखी ||१८||
तुम्हारी महिमा बुद्धी बढाई |
शेष सहस्त्र मुख सके न गाई ||१९||
मैं मतिहीन मलीन दुखारी |
करहु कौन विधि विनय तुम्हारी ||२०||
अब प्रभु दया दीन पर कीजै |
अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ||२१||
कलुआ भैरों संग तुम्हारे |
अरीहित रूप भयानक धारे ||२२||
आशीर्वाद तुम्हारा बहुत ही हितकारी |
चौसठ जोगन रहे आज्ञाकारी ||२३||
प्रेम सहित जो कीर्ति गावई |
भव बंधन सो मुक्ति पावई ||२४||
कुळदेव कुलस्वामिनी की महिमा जो कोई पढे पढावै |
ध्यान लगाकर सुने सुनावै ||२५||
ताके कोई रोग ना सतावै |
पुत्र आदी धन संपत्ति पावै ||२६||
कुलधात्री सदा सकल सुख को भावई |
इस भक्त के भाग्य को खुद लिखावै ||२७||
दया दृष्टी हेरो कुलदेव जगदंबा |
केही कारण माता पिता कियो विलंबा ||२८||
करहु धारण कर्ता तुम रखवाली |
जयती जयती पालन कर्ता तुम सब को पाली ||२९||
सेवक दीन अनाथ अनारी |
भक्ति भाव युती शरण तुम्हारी ||३०||
माय बाप ने दिया पुत्र को वरदान
दीन दुखारु भगत को करेंगे धनवान ||३१||
शिव मार्ताण्ड मल्हारी नाम तुम्हारा |
इस भक्त को तेरा ही सहारा ||३२||
भवानी जगदंबा रामवरदायिनी नाम तुम्हारा |
तीन काल में तेरा ही सहारा ||३३||
रक्षा करे भक्त की त्रिकाल |
दूर भगादे दुःख का अकाल ||३४||
जो होई पीडा जादू टोणादि जहाल |
नाश कर उसे कुलाधारी ऐसी करे धमाल ||३५||
प्रतिपदा चतुर्थी नवमी पौर्णिमा |
सदा अमावस को पाठ करके देखे करिष्मा ||३६||
सदा ही कुळधारी रहे भगत के पीछे |
रक्षा करके मेरी फल दे अच्छे से अच्छे ||३७||
सत्य भजन जो तेरे गावे |
सो निश्चय चारों फल पावें ||३८||
सत्य आस मन में जो होई |
मनवांचित फल पावे सोई ||३९||
धन्य जन्मभूमी का वो फूल है |
जिसे कुलदेव कुलस्वामिनी की चरण की मिली धूल है ||४०||
|| श्री कुलस्वामिन्याअर्पणमस्तु ||