ओंकार की छवी है सबसे न्यारी ।
मथुरा में हुए बाल गोपाल अवतारी ॥
देवकी के कोख से प्रकटे आँठवा मोहन धारी।
काली रात वसुदेव ने यमुना की बाढ़ को तारी ॥
गोकुल वासा नंद यशोदा का प्यारा ।
गोपगोपियों को भावे नटखट अमित दुलारा ॥
कंस को मारे कालिया मर्दन से भगावे ।
भ्राता बलराम के संग लिला रचावे ||
कुरूश्रेत्र में गीता अमृत ज्ञान पिलावे ।
कुन्तेय सारथी होके यश का भान दिलावे ||
आँठ दिशा से आँठ पत्नियों के संग सिद्धि का रस देवे।
महाभयंकर कली में भगत की नैय्या तरावे ||
कृष्ण रुक्मिणी के संग अनिमा सिद्धि दिलावे ।
पुरब में रहकर ज्ञान अमिरस का पिलावे ॥
कृष्ण जामवंती के संग गरिमा सिद्धि दिलावे।
अगन में रहकर ज्ञान अमिरस का पिलावे ॥
कृष्ण सत्यभामा के संग लघिमा दिलावे ।
दख्खन में रहकर ज्ञान अमिरस का पिलावे ॥
कृष्ण कालिंदी के संग महिमा दिलावे ।
नैऋत्य में रहकर ज्ञान अमिरस का पिलावे ॥
कृष्ण सत्या के संग प्राप्या सिद्धि दिलावे।
पश्चिम नग्नजीत में रहकर ज्ञान अमिरस का पिलावे ॥
कृष्ण मित्र वृंदा के संग पराकम्या सिद्धि दिलावे।
वायुकोण में रहकर ज्ञान अमिरस का पिलावे ॥
कृष्ण रोहिणी के संग ईशत्व सिद्धि दिलावे।
उत्तर में रहकर ज्ञान अमिरस का पिलावे ॥
कृष्ण लक्ष्मणा के संग वशत्व सिद्धि दिलावे।
ईशान में रहकर ज्ञान अमिरस का पिलावे ॥
गोपालों के संग रहे गोवर्धन धारा।
इंद्र के क्रोध को देवे फटकारा ॥
कृष्ण राधा संग काया रूपी वन में संचारे ।
मायारूपी सागर कंद वासिनी नाव से तारे ॥
भांडीर वट के नीचे मनोहर बासरी बजावे।
सुना के भगत को परमानंद दिलावे ॥
सत्य का दिया जलाके ज्ञान का भंडार खुलावे।
अज्ञान को बुझा के हरी नाम को झुलावे ॥
पांडुरंग बनके संतन की आस पुरावे ।
मोक्ष का द्वार खोलकर भक्ती रस को चुसावे ॥
सोलह हजार पंखुड़ियों के कमल में बिराजे |
मुरलीधर बनके ज्ञानी का शिरोमणी साजे ॥
प्यार भरी रास क्रीडा राधा संग खेले ।
सारे विश्व में आनंद ही आनंद डोले ॥
झूठा कौरवी अज्ञान का कुआ बुझावे ।
सत्य से पांडवी ज्ञान का दिया जलावे ॥
अठारह दिन में ज्ञान का डंका बजावे |
परम आनंद रूपी स्वर्गद्वार को खुलावे ॥
मै भगत लेके हरी भक्ती की आस ।
न छोडे सदा राखे तेरे ही पास ॥
जय गोपाल
जय कन्हैया
जय जय देवकीनंदन
जय मुरारी
जय गोराखी
जय जय वसुदेव नंदना ।
जय गोकुल वासी
जय गोवर्धनधारी
जय जय यशोदा का लाला ||
जय बाके बिहारी
जय गोवर्धन हारी गो संवर्धन कारी
जय जय नंद का प्यारा |
जय पांडव सखा
जय गिरधारी
जय जय ज्ञान का भंडारा ॥
जय राधा सखा
जय मुरली धाता
जय जय रुक्मिणी का प्यारा ।
जय अर्जुन सखा
जय जगन्नाथा जय
गोकुल का प्यारा ॥
अनंत कोटी ब्रह्मांड में तेरा ही सहारा
ज्ञान की दीक्षा देके सत्य का करे फवारा ॥
ॐ स्वामी।ॐ स्वामी। ॐ स्वामी ॥
हरी ॐ तत्सत् ॥